Monday, 4 July 2011

जीवन के जोखिम

हंसने में मूर्ख समझ लिए जाने का खतरा है.
रोयें तो भावुक मान लिए जाने का खतरा है.
उंगली थमा दें तो हाथ जकड़े जाने का खतरा है.
अपनी बात रखें तो चुप कराये जाने का खतरा है.
किसी का कुछ ज़ाहिर कर दें तो अपने राज़ उभर आने का खतरा है.
अपनी सोच दुनिया तो बताएं तो सपनों के चोरी हो जाने का खतरा है.
प्यार तह-ए-दिल से करें तो बेवफाई का खतरा है.
जीने में मरने का खतरा है.
उम्मीदें पालें तो मायूसी का खतरा है.
कोशिश करें तो नाकामयाबी का खतरा है.
लेकिन जीवन में खतरे तो उठाने ही पड़ते हैं. बिना खतरों के जीवन भी कैसा जीवन! जीवन में खतरे नहीं उठाने पर दुःख-दर्द को कुछ दूर रखा जा सकता है लेकिन कुछ भी नया सीखने, महसूस करने, बदलने, बढ़ने, प्यार पाने, और जीने के लिए खतरे उठाने पड़ते हैं.

No comments:

Post a Comment